Yamunotri Temple
यमुनोत्री मंदिर (Yamnotari Temple) गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिंदू भगवान यम के साथ हिंदू देवी यमुना की एक मूर्ति मंदिर में विराजमान है। यम को हिंदू देवी यमुना का बड़ा भाई माना जाता है। जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा यह मंदिर मूल रूप से 19 वीं सदी में बनाया गया था और चार मंदिरों ( सामूहिक रूप से चार धाम) में से एक है। मंदिर के द्वार अक्षय तृतीया के पवित्र दिन को खुलते हैं जो हिन्दू माह वैशाख की उज्ज्वल छमाही का तीसरा चंद्र दिवस है और दीवाली के बाद दूसरे दिन बंद होता है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम, भी पास में स्थित है। यमुनोत्री के अन्य दो मुख्य आकर्षण गर्म जलस्रोत अर्थात् सूर्य कुंड और गौरी कुंड हैं।
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यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री है और मृत्यु के देवता यम की बहन है | कहते है कि भैयादूज के दिन जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करता है |उसे यमत्रास से मुक्ति मिल जाती है | इस मंदिर में यम की पूजा का भी विधान है |
यमुनोत्री धाम के इतिहास का वर्णन हिन्दुओं के वेद-पुराणों में भी किया गया है , जैसे :- कूर्मपुराण, केदारखण्ड, ऋग्वेद, ब्रह्मांड पुराण मे , तभी यमुनोत्री को ‘‘यमुना प्रभव’’ तीर्थ कहा गया है।
और यह भी कहा जाता है कि इस स्थान पर “संत असित” का आश्रम था |
महाभारत के अनुसार जब पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए | तो वे पहले यमुनोत्री , तब गंगोत्री फिर केदारनाथ-बद्रीनाथजी की ओर बढ़े थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की जाती है।
और चारधाम यात्रा के बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास और मान्यताये ! के बारे में जरुर जाने |
यमुनोत्री मंदिर (Yamnotari Temple) गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिंदू भगवान यम के साथ हिंदू देवी यमुना की एक मूर्ति मंदिर में विराजमान है। यम को हिंदू देवी यमुना का बड़ा भाई माना जाता है। जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा यह मंदिर मूल रूप से 19 वीं सदी में बनाया गया था और चार मंदिरों ( सामूहिक रूप से चार धाम) में से एक है। मंदिर के द्वार अक्षय तृतीया के पवित्र दिन को खुलते हैं जो हिन्दू माह वैशाख की उज्ज्वल छमाही का तीसरा चंद्र दिवस है और दीवाली के बाद दूसरे दिन बंद होता है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम, भी पास में स्थित है। यमुनोत्री के अन्य दो मुख्य आकर्षण गर्म जलस्रोत अर्थात् सूर्य कुंड और गौरी कुंड हैं।
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यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री है और मृत्यु के देवता यम की बहन है | कहते है कि भैयादूज के दिन जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करता है |उसे यमत्रास से मुक्ति मिल जाती है | इस मंदिर में यम की पूजा का भी विधान है |
यमुनोत्री धाम के इतिहास का वर्णन हिन्दुओं के वेद-पुराणों में भी किया गया है , जैसे :- कूर्मपुराण, केदारखण्ड, ऋग्वेद, ब्रह्मांड पुराण मे , तभी यमुनोत्री को ‘‘यमुना प्रभव’’ तीर्थ कहा गया है।
और यह भी कहा जाता है कि इस स्थान पर “संत असित” का आश्रम था |
महाभारत के अनुसार जब पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए | तो वे पहले यमुनोत्री , तब गंगोत्री फिर केदारनाथ-बद्रीनाथजी की ओर बढ़े थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की जाती है।
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